अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बाबा सत्यनारायण मौर्य 20 मार्च को मुरादाबाद में
20 मार्च सांय 6:00 बजे से पंचायत भवन के जिगर मंच पर अपनी कलाओं का प्रदर्शन करेंगे।
by विवेक कुमार शर्मा
18.03.2023
मुरादाबाद: महान देश भक्त, राष्ट्र चिंतक, अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध गायक, चित्रकार व अध्यात्मिक गुरु बाबा सत्यनारायण मौर्य भारतीय नव वर्ष की पूर्व संध्या पर मुरादाबाद के युवाओं में भरेंगे राष्ट्रभक्ति का ज्वार।
युवाओं के प्रेरणा स्रोत बाबा सत्यनारायण मौर्य भारतीय संस्कृति के वाहक, राष्ट्रभक्त कवि, गायक, चित्रकार, कार्टूनिस्ट के रूप में उनकी पहचान विश्वविख्यात है। 20 मार्च सांय 6:00 बजे से पंचायत भवन के जिगर मंच पर अपनी कलाओं का प्रदर्शन करेंगे।
भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे उत्तम संस्कृति है, और वह वैज्ञानिक है, अंग्रेजी शासन में हमारी संस्कृति को तहस-नहस किया गया लेकिन अब भारतीय युवा अपनी संस्कृति की ओर लौट रहा है, वर्तमान समय विश्व के अनेक देश हमारी संस्कृति को ग्रहण कर रहे हैं।
भारतीय कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष का आगाज 1 जनवरी से नहीं बल्कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर आरंभ होता है जो इस वर्ष बुधवार 22 मार्च 2023 से आरंभ हो रहा है।
भारतीय नववर्ष आयोजन समिति इस पल को यादगार बनाने हेतु इस अवसर पर बाबा सत्यनारायण मौर्य जी की कला को मुरादाबाद के युवाओं से रूबरू कराएगी।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंडलायुक्त, मुरादाबाद श्री आंजनेय कुमार सिंह एवं विशिष्ट अतिथि पुलिस उप महानिरीक्षक श्री शलभ माथुर रहेंगे।
रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे नारा देने वाले बाबा सत्यनारायण मौर्य किसी परिचय के मोहताज नहीं है, लेकिन कुछ बातें उनके बारे में बतानी आवश्यक हैं।
बचपन से चित्रकारी के प्रति रूचि रही उज्जैन से एम.ए. चित्रकला में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। चित्रकला के विभिन्न क्षेत्रों और विधाओ में बाबाजी कि रूचि रही पर आज के चित्रकार बाबाजी उन कलाकारों से अलग है जिनकी कला दीर्घाओं की मोहताज होती है। बाबाजी कि पेंटिंग का कैनवास बहुत लंबा है। जो वनवासी गांवों की दीवारों, रेल के डब्बों, मंदिरों, पुस्तकों से लेकर सात समंदर पर के कई देशों के घरों और मंचों तक फैला हुआ है।
मंचीय कवि के रूप में बाबाजी ने एक लंबा समय देश के विभिन्न मंचों पर गुजारा। अपने विशिष्ट अंदाज, विविध रसों की कविताओं तथा कविता की विभिन्न शैलियों के कारण श्रोताओं के प्रिय बने रहे। मौलिक एवं स्पष्ट विचारों ने उन्हें जहाँ सराहने वालों में प्रिय बनाया वहीं कुछ विरोधियों आलोचना का पात्र भी बनाया।
बाबाजी ने संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली। ग्रामीण परिवेश के संगीत मंडलों से प्राम्भ हुई उनकी संगीत यात्रा आज विश्व के मंचों पर पहुंच गई है। बाबाजी जन सामान्य के ऐसे गायक हैं जिन्हें दो दशकों से सुना और सराहा जा रहा है। अयोध्या आंदोलन के समय श्री अशोक जी सिंघल की प्रेरणा से सर्वप्रथम कुछ स्वरचित गीतों को स्वर दिया उसके बाद विभिन्न राष्ट्रीय आंदोलनों को गति प्रदान की।
बाबाजी अपनी स्पष्ट सोच, पैनी नजर और धारदार चित्रकारी के कारण कार्टूनिस्ट के रूप में उनकी विशिष्ट पहचान है।
विदेशों में बाबा जी सिर्फ एक कलाकार के रूप में नहीं जाते। भारतीय संस्कृति का गौरव उनकी जीवन शैली का एक अनिवार्य अंग है। विदेशो में आम आदमी से लेकर राजनैतिक तथा सामाजिक व्यक्तित्वो द्वारा उन्हें इसी रूप में देखा जाता है. बाबाजी दुनिया भर में दमदारी से भारत की संस्कृति का पक्ष रखते है. विभिन्न प्रदर्शनियों, कार्यक्रमों तथा अपने साक्षात्कारों में अपनी प्रस्तुतियां इसी रूप में देते हैं। अपनी यात्राओं में योग, कला, हिंदी तथा धार्मिक मान्यताओं का प्रचार-प्रसार द्वारा बाबाजी पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति को प्रसारित कर रहे हैं।
उपरोक्त जानकारी सतीश अरोड़ा,कपिल नारंग
भारतीय नववर्ष आयोजन समिति ने उपलब्ध कराई है।