अम्बेडकर शाखा, पीली कोठी सिविल लाइंस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा सुन्दरकाण्ड एवं हरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया गया
सुन्दरकाण्ड में ही हनुमानजी को सीताजी के दर्शन होते हैं -अर्द्धमौनी
By विवेक कुमार शर्मा
Date 21.05.2023
मुरादाबाद: अम्बेडकर शाखा, पीली कोठी सिविल लाइंस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा सुन्दरकाण्ड एवं हरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया गया। जिसमें मठ-मन्दिर विभाग प्रमुख आचार्य धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि सुग्रीव और राम अर्थात् जीव और ईश्वर की मैत्री का दर्शन है। जब जीव सुग्रीव की भाँति हनुमान अर्थात् ब्रह्मचर्य का आश्रय लेगा तभी उसे राम मिलेगें । जिसका कण्ठ सुन्दर है वही सुग्रीव है। कण्ठ की शोभा आभूषण से नही बल्कि राम नाम का जप करने से है। जिसका कण्ठ सुन्दर है। उसी की मित्रता राम से होती है किन्तु उसे हनुमान यानी ब्रह्मचर्य की सहायता लेनी होगी ।
जब जीव की मैत्री राम से हो जाती है तो वह सुन्दर हो जाता है । इस काण्ड में हनुमानजी को सीता के दर्शन होते हैं। सीताजी पराभक्ति है , जिसका जीवन सुन्दर होता है। उसे ही पराभक्ति के दर्शन होते है। संसार समुद्र पार करने वाले को पराभक्ति सीता के दर्शन होते है। ब्रह्मचर्य एवं रामनाम का आश्रय लेने वाला संसार सागर को पार करता है। मार्ग में सुरसा बाधा डालने आ जाती है, संसारिक भोग ही सुरसा है। नये नये रस की वासना रखने वाली जीभ ही सुरसा है। संसार सागर पार करने की कामना रखने वाले को जीभ को वश मे रखना होगा। जहाँ पराभक्ति सीता है वहाँ शोक नही रहता , जहाँ सीता है वही अशोक वाटिका है।
जो अपनी त्रुटियों को दूसरे की त्रुटियां बताकर स्वयं को बुद्धिमान प्रदर्शित करता है तथा अक्षम होते हुए भी क्रुद्ध होता है, वह महामूर्ख कहलाता है।
जिसने श्रीराम की प्रियता के लिए उनके आश्रित होकर रहने में, देखे हुए संसार की चमक-दमक को छोड़ दिया, उस पर श्रीराम बहुत प्रसन्न हो जाते हैं।
भगवान् को प्रसन्न करने के लिये ब्राह्मण, देवता या ऋषि होना, सदाचार और बहुत-सा ज्ञान होना तथा दान, तप, यज्ञ, शौच और बड़े-बड़े व्रतों का अनुष्ठान पर्याप्त नहीं है। भगवान् श्रीराम तो केवल निष्काम प्रेम-भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं और सब तो विडम्बना मात्र हैं।
कार्यक्रम में गोपाल टण्डन, शरद चन्द्र गोयल, सुभाष कत्याल, सोमदत्त नागपाल, अनिल सिक्का, धवल दीक्षित, गोपाल हरि गुप्ता, राधारानी’पार्षद’, मोहनलाल सैनी, डा० प्रस्तावना मोहन, चौ० नरेन्द्र सिंह, मुकेश महरोत्रा, लोकनाथ अरोरा, विपुल टण्डन, जे एस अरोरा, जितेन्द्र जैन, राकेश गोस्वामी, शकुन्तला अरोरा, मोहिनी महरोत्रा, राज मदान, सपना चौधरी, प्रभा बन्सल, नीतू अरोरा आदि बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।