उत्तरप्रदेशधार्मिकमुरादाबाद
Trending

भागवत भक्ति, ज्ञान, वैराग्य एवं तपस्या की कर्मभूमि है -अर्द्धमौनी

श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि भागवत भक्ति, ज्ञान, वैराग्य एवं तपस्या करने का आध्यात्मिक सरोबर है

The Moradabad Mirror

By विवेक कुमार शर्मा
Date 07.07.2023

मुरादाबाद: साकेत कॉलोनी सिविल लाइंस में एक वर्षीय श्रीमद्भागवत पुराण कथा को विश्राम देते हुए श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि भागवत भक्ति, ज्ञान, वैराग्य एवं तपस्या करने का आध्यात्मिक सरोबर है।
कामना के विषय को बदल कर उसे शुद्ध कर लोगे तो फिर वह स्वतः ही प्रेम के रूप में परिणत हो जायगी। अपनी इन्द्रियों की तृप्ति के लिये होने वाली इच्छा का नाम ‘काम’ है और भगवत्प्रीत्यर्थ होने वाली इच्छा का नाम ‘प्रेम’ है। कामनाका विषय इन्द्रिय-सुख न हो, भगवत्प्रीति हो। ऐसा होते ही कामना प्रेमके रूपमें परिणत होकर विशुद्ध हो जायगी।
आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु हैं। मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र उसका ज्ञान भक्ति होता है जो सदैव उसके साथ रहता है इसलिए भक्त कभी भी दुखी नहीं रहता।
जिसने भगवान् के प्रति आत्म-समर्पण कर दिया है, वह सदा-सर्वदा प्रसन्नतापूर्वक यन्त्रकी भाँति भगवान् का कार्य करता रहता है। वह किसी भी स्थितिमें प्रतिकूलता का अनुभव नहीं करता। उसकी प्रतिकूलता-अनुकूलता भगवान् की मंगलमयी इच्छामें मिलकर नित्य सम उल्लासमयी स्थितिके रूपमें परिणत हो जाती है।
कथा में श्रीमती अनीता गुप्ता, वाई. पी. गुप्ता, आर्किटेक्ट, लेखा कोठीवाल, अनुभा गुप्ता, शारदा सहगल, डा० रीता खन्ना, प्रोमिला महाजन, मधु वैश्य, विजया कत्याल आदि उपस्थित रहे।


The Moradabad Mirror

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button