भक्ति-भाव, हरिनामृत, साधू संग, तीर्थाटन और दान परम कल्याणकारी है -अर्द्धमौनी
चातुर्मास महोत्सव में भजन सन्ध्या का आयोजन
By विवेक कुमार शर्मा
Date 07.07.2023
मुरादाबाद: श्रीद्वारिकाधीश मन्दिर, द्वारकाधीश पुरम में चातुर्मास महोत्सव का शुभारंभ भजन सन्ध्या से हुआ। आचार्य धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि अपने अन्दर शुद्ध भाव, भगवान श्रीकृष्ण का नामामृत, साधू सन्तों का संग, तीर्थस्थलों का भ्रमण और वैष्णवों को दिया गया दान हमारा परमकल्याण करता है।
शरीर के बदलने का और स्वयं के नहीं बदलने का अनुभव सबको है। शरीर की बाल्यावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था जानने में आती है, लेकिन मैं जो बचपन में था। जैसे आकाश में बादल, बिजली, बरसात से कुछ भी विकार नहीं होता, आकाश की निर्लिप्तता अक्षुण्ण रहती है, वैसे ही क्रिया-पदार्थ, हानि-लाभ, जीवन-मरण से तत्त्व में कुछ भी फर्क नहीं पड़ता।
जब सूर्योदय तथा सूर्यास्त होता है तो उन दोनों ही समय में लाल रंग का होता है अर्थात् दोनों ही संधिकालों में एक समान रहता है। ऐसे ही महान लोग अपने अच्छे और बुरे दोनों ही समय में एक जैसे एक समान साहस बनाए रखते हैं।
जिसने भगवान् के प्रति आत्म-समर्पण कर दिया है, वह नित्य परम शान्ति को प्राप्त करता है। अशान्ति या चित्त की चंचलता तभी तक रहती है, जबतक चित्त में जन्म-मृत्युमय जगत् के अनन्त अनित्य दृश्य भरे रहते हैं और जब चित्त भगवान् के चित्तमें मिलकर घुल-मिल जाता है, तब वह नित्य शान्तिमय भगवान् का निवासस्थल बन जाता है। सागर के ऊपर-ऊपर ही तरंगें उछलती हैं, उसका गम्भीर अन्तस्तल अत्यन्त शान्त होता है। इसी प्रकार चित्त जबतक बाहरी जगत् में रमता है, तबतक उसकी चंचलता नहीं मिटती, पर वही जब अनन्त अथाह गहराई में जाकर भगवान् को पा जाता है, तब सर्वथा शान्त स्थिति में पहुँच जाता है।
भजनोत्सव में श्रीमती ननिया देवी, कामिनी सैनी, अमित सैनी, नीतू सिंह, किरन सिंह, ललित सैनी, मनीषा सैनी, ममता रानी, ध्यान सिंह, रामवती, राम सिंह, किरन सिंह, मनोज कुमार, दीपू कुमार, हिमान्शु कुमार, ऊषा सैनी ने सहयोग दिया।