मां पूर्णागिरी मां काली की 19वीं वर्षगांठ पर हुआ भण्डारा धन, भोगों से बढ़कर विधा का स्थान है -अर्द्धमौनी
अट्ठासी घन्टा, कठघर गाड़ीखाना में पं० बालमुकुंद शर्मा स्मृति में भजनोत्सव, झांकी एवं भण्डारे का आयोजन हुआ।
By विवेक कुमार शर्मा
Date 30.12.2023
मुरादाबाद: कार्यक्रम का शुभारंभ विशाल हवन एवं छप्पन भोग अर्पण से हुई। दीप प्रज्ज्वलित करते हुए आचार्य धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि जीवन में कभी भी भावावेश में आकर कोई कार्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि आवेश में अविवेक उत्पन्न होता है और अविवेक ही विपत्तियों का कारण है। जो व्यक्ति सोचकर, धैर्यपूर्वक कार्य करता है, वह सदैव सुखी एवं समृद्घ रहता है।
विद्या मनुष्य का विशिष्ट रुप है, गुप्त धन है। वह भोग देनेवाली, यशदात्री, और सुखकारक है। विद्या गुरुओं का गुरु है, विदेश में वह इन्सान की बंधु है। विद्या बडी देवता है, राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं। इसलिए विद्याविहीन पशु ही है।
इन सात को कभी पैरों से नहीं स्पर्श करना चाहिए। इन्हें पैर से छूने का अर्थ इनका अपमान करना है जिससे घोर पाप लगता है। ये सात हैं- अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गाय, कुमारी कन्या, वृद्ध तथा अबोध बालक।
भगवान् के आश्रय बिना सत्यादि गुण नहीं रह सकते, भगवान् के हृदय में आते ही समस्त दुर्गुण वैसे ही नष्ट हो जायँगे, जैसे सूर्यका उदय होते ही अन्धकार मर जाता है। जगत् का यह सूर्य तो फिर छिपता भी है, परंतु भगवान् एक बार जिसके हृदय में उदय हो जाते हैं—फिर वे कभी छिपते ही नहीं; एक बार जिसके हृदयमें आ बसते हैं, फिर वहाँ से निकालने पर भी नहीं निकलते।
आयोजन में राम अवतार शर्मा, ओमवती शर्मा, विधा सरन शर्मा, सन्तोष शर्मा, धर्मेन्द्र नाथ मिश्रा, श्रीमती कल्पना रितेश, प्रिया सिंह, गौरी सिंह, मदालशा शर्मा, मुकेश भारद्वाज, विकल कुमार, चन्दर प्रजापति, कमल गुलाटी, राजेश गुप्ता, योगेन्द्र रस्तोगी, पंकज शर्मा, पुनीत शर्मा, बन्टी गुप्ता, पं० विशेष शुक्ल, कविता गुप्ता, नरेश गुलाटी, हरीश प्रजापति, कुलदीप नरायण सिंह, मनीष पण्डित, पंकज शर्मा आदि ने सहयोग दिया