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आरएसएस की शहनाई मंडप में साप्ताहिक लगने वाली अंबेडकर शाखा का वार्षिकोत्सव संपन्न

साप्ताहिक अंबेडकर शाखा ने मनाया वार्षिकोत्सव

The Moradabad Mirror

By विवेक कुमार शर्मा
Date 16.04.2023

मुरादाबाद:कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक, क्षेत्रीय संयोजक राष्ट्रीय अभिलेखागार तपन जी ने वार्षिक उत्सव मनाने की आवश्यकता और इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वार्षिकोत्सव, शाखाओं पर पूरे वर्ष होने वाले कार्यक्रमों का एक प्रदर्शन है। संघ के स्वयंसेवकों ने नित्य शाखा पर आकर जो शारीरिक और बौद्धिक कार्यक्रम करते हुए संस्कारों को ग्रहण किया है, उसका प्रदर्शन वह वार्षिक उत्सव के दिन शाखा क्षेत्र के समाज के सम्मुख करते हैं। उन्होंने कहा कि संघ की शाखा मात्र खेल खेलने का स्थान या परेड करने का स्थान नहीं, संघ की शाखा सज्जन शक्तियों के संरक्षण हेतु है। संघ की शाखाएं समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
शाखाओं का नामकरण महापुरुषों के नामों पर किया जाता है स्वयंसेवक उन महापुरुषों की जीवन चरित्र से प्रेरणा लेते हैं। हमारी इस शाखा का नाम अंबेडकर शाखा है।
अपने सम्बोधन में मुख्य वक्ता के द्वारा तथ्य परक संदर्भो के आधार पर अंबेडकर जी के विचारों का प्रकटीकरण किया गया, उन्होंने बताया कि किस प्रकार समाज में समरसता और समता स्थापित की जा सकती है, इसके लिए उन्होंने जहां सवर्ण समाज से बदलाव की आवश्यकता का आग्रह किया तांकि राष्ट्र विरोधी ताकतें हमारी कमजोरियों का दुरूपयोग कर हमें कमजोर न कर सकें, वहीं उन्होंने तथाकथित दलित समाज से भी अपनी कुरीतियों, दुर्व्यसनों को त्यागकर शिक्षित और संस्कारवान बनकर समाज की मुख्य धारा का अंग बनने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक बाबासाहेब के विचारों को अपने जीवन में संघ स्थापना के पहले दिन से ही अपनाते आ रहे हैं, संघ के कार्यक्रमों और स्वयंसेवकों के जीवन में इसका प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि संघ और अन्य सामाजिक संगठनों के प्रयत्नों द्वारा समाज के अंदर सामाजिक भेद-भाव धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं किन्तु राजनीतिक स्वार्थ वश अनेक संस्थाओं द्वारा इन्हें भड़का दिया जाता है, जिससे सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया की बाबासाहेब ने अपने जीवन काल में संघ कार्य को तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया था। बाबासाहेब ने अनेक प्रलोभनों के बाद भी ईसाई और इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं किया, अपितु बौद्ध धर्म अपनाया क्यों कि भगवान बुद्ध नाग वंश से थे और बाबा साहेब भी नागवंशी थे।
इस प्रकार उन्होंने जीवन में धर्म के महत्व का प्रतिपादन किया और धर्म सापेक्ष जीवन जीने के आग्रह को अपने स्वयं के जीवन द्वारा प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने अंबेडकर जी के विचारों को जीवन में उतारने की आवश्यकता का आग्रह किया।
कार्यक्रम अध्यक्ष निवर्तमान सेनानायक आरपीएफ बसंत सिंह ने कहा कि बाबा साहेब का पूरा जीवन अनुकरणीय है हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए तभी उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी।

कार्यक्रम में बाबासाहेब के जीवनी का प्रस्तुतीकरण खेत्रपाल सिंह द्वारा किया गया।
सेवा निवृत्त आयकर आयुक्त मोहन राम द्वारा मुक्तक पाठ के द्वारा बाबासाहेब को भावांजलि भेंट की गई।

इस अवसर पर विभाग संघचालक ओमप्रकाश शास्त्री, पवन जैन विभाग प्रचार प्रमुख, महानगर संयोजक प्रौढ़ वर्ग गोपाल टंडन, विभाग सेवा प्रमुख कमल कांत राय, प्रभात गोयल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र शर्मा, तुलसी सिंह, अभिनंदन जैन चन्द्र नगर संघचालक सुभाष कत्याल, मयंक जी, रूपचंद्र मित्तल, अनिल चौधरी, राहुल जैन, अनिल सिक्का, उम्मेदराज पुरोहित, विवेक गुप्ता, धवल दीक्षित, संजीव चौधरी आदि शाखा के स्वयंसेवक एवं समाज के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे


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