भागवत काम को बदलकर भक्तिरत बना देती है -अर्द्धमौनी
कामना का विषय इन्द्रिय-सुख न हो, भगवत्प्रीति हो, ऐसा होते ही कामना प्रेमके रूपमें परिणत होकर विशुद्ध हो जायगी
By विवेक कुमार शर्मा
Date 02.06.2023
मुरादाबाद : मुरादाबाद के मण्डी चौक में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि कामना के विषय को बदलकर उसे शुद्ध कर लोगे तो फिर वह स्वतः ही प्रेमके रूप में परिणत हो जायगी। अपनी इन्द्रियोंकी तृप्तिके लिये होनेवाली इच्छाका नाम ‘काम’ है और भगवत्प्रीत्यर्थ होनेवाली इच्छाका नाम ‘प्रेम’ है।
जब तक नाशवान् धन-सम्पदा, भोग पदार्थ, मान-बड़ाई, अनुकूलता-प्रतिकूलतामें हमारी महत्त्व-बुद्धि है, तब तक अविनाशी भगवान् में महत्त्व-बुद्धि कैसे हो? जो सबके कारण, अधिष्ठान, आधार, आश्रय हैं, वे भगवान् हमारे हैं।
इस बातको सुनते, समझते भी इस बातमें हमारी निष्ठा नहीं हो रही है और असत्, नाशवान् का आदर वैसा ही है। हम भगवान् के अंश हैं तो हमारी स्वाभाविक प्रियता भगवान् में होनेसे ही हमें शान्ति, सन्तोष, आनन्द मिल सकता है। नाशवान् में हमारी प्रियता रहेगी तो हमें दुःख पाना ही पड़ेगा, स्वप्नमें भी शान्ति नहीं मिल सकती।
भाग्य का विचार करके व्यक्ति को कार्य-संपादन का अपना प्रयास त्याग नहीं देना चाहिए । भला समुचित प्रयास के बिना कौन तिलों से तेल प्राप्त कर सकता है। जितना समय हम दूसरे का बुरा चिंतन करेंगे वो समय हमारी उम्र में से ही जाएगा।
वो समय अगर हम भगवान के चिंतन में लगालें। तो कितना बड़ा लाभ है। उसी काल में यदि हम उसका भला चिंतन करें और भगवान का निरंतर चिंतन करें तो कितना मंगल हो।
जो सद्गुण भगवान् में प्रीति बढ़ानेवाले नहीं हैं उनमें कहीं-न-कहीं कोई दोष है। उसको खोजो और दूर करो। सद्गुणकी यही पहचान है कि वह भगवान् की ओर ले जाता है।
आयोजन में शशि अग्रवाल, राजेन्द्र नारायण अग्रवाल, लेखा कोठीवाल, आभा गुप्ता, विकास अग्रवाल, अदिति अग्रवाल, मधु गुप्ता, स्पर्श अग्रवाल, राकेश अग्रवाल, अनीता गुप्ता, नूतन अग्रवाल, प्रशान्त अग्रवाल, प्रिया अग्रवाल, डा० मंजरी अग्रवाल, डा० रीता खन्ना, प्रोमिला महाजन, मधु वैश्य आदि रहे।