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नरेंद्र मोदी और दलबदलू नेताओं की विश्वनीयता का आकलन,जनता की नजर में क्या है??

आज सत्तारूढ़ दल, भाजपा में लगभग 70 प्रतिशत नेता, दलबदलू हैं, जोकि अन्य दलों से पलायन करके भाजपा में सम्मिलित हुए हैं

The Moradabad Mirror

By     विवेक कुमार शर्मा/शशांक शर्मा

Date 13.02.2024

 

मुरादाबाद/लखनऊ: आज सम्पर्ण विश्व के यदि प्रमुख नेतृत्वों का आंकलन किया जाए, तो एक श्रेष्ठ कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ, समय की मांग के अनुरूप रणनीति तैयार करने वाला, शत्रुओं को परास्त करने की क्षमता से युक्त, देश के उत्थान हेतु सम्पूर्ण जीवन को समर्पित करने वाला एक मात्र व्यक्तित्व प्रधानमंत्री मोदी जी हीं है। इस राजनेता ने अपने भाग्य की दिशा व दशा को अपने कर्मो से उच्चतम स्थान पर पहुँचाया है। यह सत्य भी है कि ईश्वर उसी व्यक्ति का साथ देता है, जो कर्मशील होता है और अपने जीवन में सत्मार्ग को अपनाकर कर्मपथ पर अग्रसर रहता है। ऐसे बिरले व्यक्तियों को ईश्वर, पृथ्वी पर श्रेष्ठ कार्य करने हेतु अवतरित करता है।

आज सत्तारूढ़ दल, भाजपा में लगभग 70 प्रतिशत नेता, दलबदलू हैं, जोकि अन्य दलों से पलायन करके भाजपा में सम्मिलित हुए हैं। राजनीति के ज्ञाताओं के मतानुसार,   यह अनुमान लगाया जाता है कि दलबदलू नेता, भाजपा की नैया को कभी भी डुबो सकते हैं, परन्तु इतिहास इस बात का साक्षी है कि दलबदलू कभी भी स्वयं में इतने सक्षम नहीं होते कि वे किसी भी दल के अस्तित्व या उसके सशक्त नेतृत्व को कोई हानि पहुँचा सकें। विशेषकर प्रधानमंत्री मोदी जी जैसे श्रेष्ठ नेता को स्वप्न में भी राजनीतिक क्षति नहीं पहुँचाई जा सकती। इसके दो प्रमुख कारण हैं, प्रथम – दलबदलू स्वयं में सत्तासुख का लालची होता है, द्वितीय – उसका व्यक्तित्व स्वयं में इतना सशक्त नहीं होता कि वह जिस पार्टी में आकर मिला हो उसको धोखा दे सके। कुछ उदाहरण अपवाद स्वरूप भी हैं, यथा – बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निरन्तर दल बदलने की प्रवृत्ति के कारण अब पलटूराम की उपाधी से विभूषित किया जाता है। राजनीति के इतिहास में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जब दलबदलुओं के कारण ही किसी भी दल का सर्वनाश हुआ। भाजपा में किसी भी दलबदलू के प्रवेश करने से पूर्व अतीत के इस तथ्य से मोदी जी भलीं-भातिं परिचित हैं।

रामायण का एक प्रमुख प्रसंग जिसके अन्तर्गत रावण का अंत उसके दलबदलू भाई ने कराया, क्योंकि रावण का अंत तब तक होना सम्भव नहीं था, जब तक भगवान श्रीराम को, रावण की नाभि में छुपे हुए अमृत कलश का पता नहीं चलता, जिसका संज्ञान श्रीराम को, उसके दलबदलू भाई विभीषण के द्वारा कराया गया।

मुगल शासको का भारत पर एक दीर्घ अवधी तक सफलतापूर्वक एकछत्र राज किया जाना भी, भारत के अनेक दलबदलू राजाओं के कारण सम्भव हो पाया, उसका सबसे बड़ा उदाहरण – राजा मानसिंह और जयचन्द थे, जिनके विश्वासघात के कारण देशभक्त राजाओं को पराजय का मुँह देखना पड़ा। मुगलकाल के पश्चात, अंग्रेजों का आगमन और उनका शासन भी उनकी गोरी मेमो के द्वारा भारत के दलबदलू राजाओं को समर्पण कराकर सम्मव हो पाया। तत्पश्चात उन्होंने 200 वर्षों तक भारत पर शासन किया और उसको लूटकर पलायन कर गए।

मोदी भी दलबदलू नेताओं की अहमियत को भली-भांति समझते हैं और चाणक्य नीति भी यही कहती है कि किसी भी शासन को चलाने के लिए दलबदलुओं का अत्यधिक योगदान होता है। इसका प्रमुख उदाहरण – भाजपा की आसाम, महाराष्ट्र और बिहार की सरकारें हैं।

कश्मीर में धारा 370 हटाने में महबूबा मुफ्ती की दलबदलू के रूप में एक बहुत बड़ी भूमिका थी, उसी के सहयोग से वहाँ पर भाजपा समर्थित सरकार बनी और धारा 370, 35ए को हटाया जा सका।

आज मध्य प्रदेश में भाजपा की एक सुदृण स्थिति बनी हुई, उसका एकमात्र कारण कांग्रेस के दलबदलू नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ही हैं। आज मोदी जी का व्यक्तित्व इतना विशाल हो चुका है कि भाजपा में यदि 80 से 90 प्रतिशत भी दलबदलू नेतागण सम्मिलित हो जाए तो भी, मोदी जी का विरोध करने का किसी भी नेता में साहस नहीं होगा। निःसन्देह भारत देश को प्रधानमंत्री मोदी जी के कुशल नेतृत्व पर गर्व है।

उपरोक्त विचार योगश मोहन जी के है जो ( वरिष्ठ पत्रकार,  स्तंभकार और लेखक  व IIMT यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति है )

 

 


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