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भाजपा क्यों दल बदलू नेताओं को अपने पाले में ला रही है, ये सत्ता का लालच नहीं तो और क्या हैं?

अपने नैतिक सिद्धांतों से समझौता कर भाजपा सिर्फ सत्ता पाने का काम कर रही हैं

The Moradabad Mirror

By  विवेक कुमार शर्मा

Date 29.01.2024

मुरादाबाद: आखिर भाजपा दल बदलू नेताओं को क्यों अपने पाली में ले रही है जबकि राम मंदिर निर्माण और धारा 370 हटाने के बाद भारतीय जनता पार्टी आंकड़ों के हिसाब से अपने आप में ही 2024 के आम चुनाव में  पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल हो सकती है, ऐसा कई राजनीतिक पंडितों और आमजन का मानना है लेकिन फिर भी भारतीय जनता पार्टी अपने नैतिक मूल्यों को दरकिनार कर दल बदलू नेताओं को 2024 के चुनाव से पहले अपने पहले में लाने में सफल हो रही है । आइए एक नजर डालते हैं और इस गणित को समझने का प्रयास करते हैं।

बिहार में एक बार फिर से पालटुराम नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को ही होगा. ये कहना गलत नहीं होगा कि बिहार में नीतीश कुमार को साथ लेना बीजेपी के लिए जरूरी और मजबूरी दोनों है क्योंकि बिहार में पिछड़ी जाति का वोट अच्छी खासी मात्रा में है और जिसे बिहार में लव कुश वोट भी कहा जाता है उसे लब कुश वोट पर नीतीश कुमार की अच्छी पकड़ मानी जाती है और नीतीश कुमार को अपने पाली में लाकर भारतीय जनता पार्टी बिहार के उस लव कुश वोट को अपने अपनी तरफ खींचना चाहती है।

वही उत्तर प्रदेश में ओम प्रकाश राजभर को अपनी तरफ मिला कर बीजेपी राजभर वोटों को रिझाने की कोशिश भी कर रही हैं जिससे बीजेपी को होगा फायदा

ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव समाज पार्टी हाल ही में एक बार फिर एनडीए में शामिल हुई है. राजभर के आने से बीजेपी को पूर्वांचल में फायदा होगा. पूर्वांचल में बीजेपी थोड़ी कमजोर है. 2019 चुनाव में यहां बीजेपी को 6 सीट पर हार का सामना करना पड़ा था ।

लोकसभा सीटों के लिहाज से यूपी सबसे बड़ा राज्य है. इस बार बीजेपी का लक्ष्य सभी 80 सीटे जीतना है. पूर्वांचल में कुल 26 लोकसभा सीट हैं. 2019 चुनाव में बीजेपी को पूर्वांचल की अंबेडकरनगर, आजमगढ़, घोसी, गाजीपुर, लालगंज और जौनपुर सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. इनमें से आजमगढ़ सीट सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का गढ़ है।

महाराष्ट्र में बीजेपी को अजित पवार और एकनाथ शिंदे की जरूरत क्यों पड़ी

महाराष्ट्र में बीजेपी दो बड़े नेताओं एकनाथ शिंदे और अजित पवार को अपने खेमे में ले चुकी है. अजित पवार ने पिछले साल 2023 में शरद पवार से बगावत करते हुए शिवसेना-बीजेपी सरकार में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उनके साथ एनसीपी के बड़े नेता छगन भुजबल ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी.

लोकसभा सीटों के लिहाज से महाराष्ट्र दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. यहां लोकसभा की कुल 48 सीटे हैं. 2019 चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था. बीजेपी 25 सीट पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से 23 सीटे (27.84% वोट शेयर) जीती. शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने अपने दम पर 16 फीसदी वोट शेयर के साथ चार सीट जीती थी.

अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, दिलीप कोलसे पाटिल और अन्य दिग्गजों को अपने खेमे में लेकर बीजेपी ने यह सुनिश्चित कर लिया है कि 2024 में एनडीए महाराष्ट्र में आराम से 40 फीसदी वोट शेयर का आंकड़े पार कर लेगा ।

 

 


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